मानसिक मजबूती के लिए मोती रत्न धारण (Moti pehne ke fayde)

मानसिक मजबूती के लिए मोती रत्न धारण

मानसिक मजबूती के लिए मोती रत्न धारण (Moti pehne ke fayde)

1. मानसिक मजबूती के लिए मोती रत्न धारण करना एक महत्वपूर्ण उपाय है। भारतीय शास्त्रों में 84 प्रकार के रत्नों का वर्णन किया गया है, जिनमें से मोती विशेष स्थान रखता है। यह रत्न अपनी शीतलता के कारण मानसिक भावनाओं और क्षमताओं को संतुलित करने में सहायक होता है। मोती को जैविक रत्न माना जाता है, जो समुद्र में पाए जाने वाले जीवों से उत्पन्न होता है।

2. मोती और मूंगा दोनों ही समुद्री जीवों से संबंधित हैं, जहां मूंगा समुद्र के जीवों का घोंसला होता है, वहीं मोती सीप नामक जीव के पेट से प्राप्त होता है। इन दोनों रत्नों की कठोरता सबसे कम होती है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि मोती को हर तीन वर्ष में बदलना चाहिए। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि रत्नों का सही उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा हमारे जन्म नाम या राशि से भी जुड़ा होता है। चंद्रमा की स्थिति और प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन पर गहरा असर डालते हैं। इस प्रकार, मोती रत्न का धारण करना न केवल मानसिक मजबूती के लिए आवश्यक है, बल्कि यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

मोती रत्न किस व्यक्ति के लिए लाभकारी होगा

1. मोती को चंद्रमा का प्रतीक रत्न माना जाता है, जो मानसिक तनाव और पीड़ा का सामना कर रहे व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। हालांकि, मोती पहनने से पहले व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि रत्न का चयन कुंडली के अनुसार किया जाए, ताकि इसका प्रभाव सकारात्मक हो सके।

2. मोती की शीतलता के कारण इसे वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार भी धारण किया जा सकता है। जब व्यक्ति को यह अनुभव हो कि उसके निर्णय गलत हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है, तो मोती पहनना एक उचित विकल्प हो सकता है। यह रत्न व्यक्ति की सोचने और समझने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

3. कुंडली के संदर्भ में, यदि किसी व्यक्ति का मेष, वृष, कर्क, कन्या, तुला या वृश्चिक राशि है, तो मोती पहनने पर विचार किया जा सकता है। मोती का चयन और धारण करना एक गंभीर प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की कुंडली और वर्तमान जीवन परिस्थितियों के आधार पर किया जाना चाहिए। सही तरीके से पहना गया मोती व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। 

मोती रत्न की अन्य जानकारियां

किस प्रकार का मोती रत्न शुभ होता है

1. शुभ मोती की विशेषताएँ महत्वपूर्ण होती हैं। एक अच्छा मोती हमेशा गोल आकार का होना चाहिए, क्योंकि यह उसकी प्रभावशीलता को दर्शाता है।

2. मोती का आकार और उसकी स्थिति भी ध्यान देने योग्य होती है। खंडित या असमान आकार के मोती को धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये शुभता में बाधा डाल सकते हैं। इसके अलावा, मोती में काले धब्बे होना भी उसे धारण करने के लिए उपयुक्त नहीं बनाता है। इस प्रकार, शुभ मोती का चयन करते समय इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

किन रत्नों के साथ मोती धारण करना शुभ और अशुभ है

1. मोती को अन्य रत्नों के साथ पहनने का तात्पर्य है कि एक ही अंगूठी या उंगली में दो या अधिक रत्नों को धारण किया जाए। यदि आप मोती के अलावा किसी अन्य रत्न को अलग अंगुली में पहनना चाहते हैं, तो ध्यान रखना चाहिए कि नीलम, गोमेद और लहसुनिया को मोती के साथ नहीं पहनना चाहिए।

2. इसके अतिरिक्त, माणिक्य, पन्ना और हीरा भी मोती के साथ पहनने के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं। हालांकि, पुखराज और मूंगा को मोती के साथ पहनने की अनुमति है। इस प्रकार, रत्नों का संयोजन करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है, ताकि शुभता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। रत्नों के प्रभाव को समझते हुए, सही संयोजन का चयन करना महत्वपूर्ण है।

मोती धारण विधि और समय 

1. मोती पहनने की प्रक्रिया में सबसे पहले यह आवश्यक है कि मोती की अंगूठी को चन्द्रमा के 11000 बीज मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाए। इसके बाद, इसे शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि मोती का प्रभाव सकारात्मक और शुभ हो।

2. मोती को पहनने का सही समय भी महत्वपूर्ण है। इसे कभी भी कृष्ण पक्ष में नहीं पहनना चाहिए, बल्कि इसे हमेशा शुक्ल पक्ष के किसी सोमवार को धारण करना चाहिए। इसके अलावा, मोती रात्रि के समय पहनना शुभ माना जाता है।

3. मोती की अंगूठी को चांदी या सोने में बनवाना अधिक लाभकारी होता है। इसे सामान्यतः कनिष्ठका में पहना जाता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर तर्जनी या अनामिका में भी धारण किया जा सकता है। इसके अलावा, चन्द्रमा के शुभ प्रभाव के लिए कम से कम 11 कैरेट का मोती पहनना या मोतियों की माला गले में धारण करना भी उचित है।

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यह लेख [लक्ष्मी नारायण] द्वारा लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया [idea4you.in] पर जाएं। © [लक्ष्मी नारायण] [30/07/2024]। सभी अधिकार सुरक्षित।   

 

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